कोफ़्त होती है जब बनती है मूर्तियाँ, पहनाई जाती है- करोडो की मालाएं मेरी गाढ़ी कमाई से,
कोफ़्त होती है जब सुबह की बिना दूध वाली चाय बनती है वर्ल्ड बैंक के नमकीन ब्याज से,
दिल चरमरा सा जाता है जब सड़ जाता है अन्न सिर्फ इनकी बात से, और लुट जाती है जिंदगियां भूख के प्यार से ,
दिल थर्राने सा लगता है जब लूट लेता है "बजट " commonwealth - शिक्षा और स्वास्थ से ,
दिल चित्कारउठता है- जब देती है घुड़कियाँ सरकार Olympic के नाम से,
दिल में चुभ जाती हैं कीलें जब लालफीताशाही की रस्सियाँ खुलती हैं रिश्वत के चढ़ावे से,
दिल झल्ला उठता है की जानते हुए सब कुछ,
सह जाने की आजादी से,
तिलमिलाने की आजादी से,
छटपटाने की आजादी से,
कोफ़्त होती है जब सुबह की बिना दूध वाली चाय बनती है वर्ल्ड बैंक के नमकीन ब्याज से,
दिल चरमरा सा जाता है जब सड़ जाता है अन्न सिर्फ इनकी बात से, और लुट जाती है जिंदगियां भूख के प्यार से ,
दिल थर्राने सा लगता है जब लूट लेता है "बजट " commonwealth - शिक्षा और स्वास्थ से ,
दिल चित्कारउठता है- जब देती है घुड़कियाँ सरकार Olympic के नाम से,
दिल में चुभ जाती हैं कीलें जब लालफीताशाही की रस्सियाँ खुलती हैं रिश्वत के चढ़ावे से,
दिल झल्ला उठता है की जानते हुए सब कुछ,
सह जाने की आजादी से,
तिलमिलाने की आजादी से,
छटपटाने की आजादी से,
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